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सरसों की उन्नत खेती 2025: बुवाई का सही समय, बेसल डोज़ और बेस्ट तरीका

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 नमस्कार साथियों,

आपने सरसों की खेती (Sarso ki Kheti) से अधिकतम लाभ लेने के लिए एक संपूर्ण और उपयोगी जानकारी साझा की है। सरसों रबी सीजन की एक महत्वपूर्ण और अधिक लाभ देने वाली फसल है, जिसकी मांग और बाज़ार भाव लगातार बढ़ रहे हैं। आपके द्वारा बताई गई उन्नत कृषि तकनीकें, विशेषकर अधिक तेल मात्रा (42%+) और उच्च उत्पादन (12-14 क्विंटल/एकड़) प्राप्त करने के लिए, किसानों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।

आपके विस्तृत मार्गदर्शन को प्रमुख सर्चिंग कीवर्ड्स के साथ व्यवस्थित करके नीचे प्रस्तुत किया गया है।




सरसों की उन्नत खेती 2025: बुवाई का सही समय, बेसल डोज़ और बेस्ट तरीका 🌻💰

सरसों बुवाई का सही समय (Sarso ki Buwai ka Sahi Samay)

सरसों की बंपर पैदावार के लिए सही समय पर बुवाई बहुत ज़रूरी है।

  • मध्य भारत (M.P., छत्तीसगढ़, गुजरात): 20 सितंबर से बुवाई शुरू की जा सकती है।

  • उत्तर भारत (राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, यू.पी.):

    • सबसे बेस्ट समय: 05 अक्टूबर से 20 अक्टूबर के बीच बुवाई करना सबसे उत्तम है।

    • यदि तापमान अधिक हो, तो 10 अक्टूबर से 25 अक्टूबर के बीच बुवाई करें।

    • देरी से बुवाई: यदि खेत 25 अक्टूबर तक खाली न हों (जैसे बाजरा, कपास, धान के बाद), तो नवंबर के पहले सप्ताह में भी बुवाई करके अच्छा उत्पादन लिया जा सकता है, जिसके लिए आपको कुछ अतिरिक्त प्रबंधन करने होंगे।


खेत की तैयारी और बुवाई का बेस्ट तरीका (Sarso Buwai ka Sabse Best Tarika)

सरसों के अच्छे अंकुरण और पौधे की मजबूत नींव के लिए खेत की तैयारी सही ढंग से करें।

  • जुताई: पिछली फसल के अवशेषों को पूरी तरह से डीकंपोज (सड़ाने) करने के लिए गहरी जुताई (प्लाऊ से) करें, फिर रोटावेटर का उपयोग करें और देसी हल से 3-4 बार जुताई करके भुरभुरी मिट्टी तैयार करें। नमी संरक्षण के लिए पाटा लगाना ज़रूरी है।

  • पलेवा (सिंचाई):

    • यदि खरीफ में खेत खाली था और नमी है, तो पलेवा की ज़रूरत नहीं।

    • यदि खरीफ की फसल काटी है, तो बुवाई से पहले पलेवा (सिंचाई) करें।

    • अवशेष प्रबंधन: पलेवा से पहले, खेत में 25-40 किलो यूरिया प्रति एकड़ छिड़क दें। इससे फसल अवशेष तेजी से सड़कर खाद बन जाएंगे।

  • बुवाई की विधि:

    • सीड ड्रिल मशीन (Seed Drill Machine) का उपयोग करके पंक्तियों (कतारों) में बुवाई करना सबसे बेस्ट तरीका है। इससे पौधे को सही दूरी मिलती है, अच्छी कैनोपी और ब्रांचेज बनती हैं, जिससे पौधा गिरने से बचता है और उत्पादन बढ़ता है।

    • ब्रॉडकास्टिंग (छिड़काव) विधि से बचें।


सरसों में बेसल डोज़ खाद प्रबंधन (Sarso me Khad)

बेसल डोज़ में सही खाद (Fertilizer) का उपयोग तेल की मात्रा (42%+) और रिकॉर्ड तोड़ पैदावार के लिए सबसे महत्वपूर्ण है।

पोषक तत्वखाद (उर्वरक)मात्रा (प्रति एकड़)मुख्य कार्य
फास्फोरस (P)टीएसपी (Triple Super Phosphate) - 46% P1 बैग (लगभग 50 किलो)जड़ों का विकास, शाखाएं बढ़ाना, तेल की मात्रा बढ़ाना। टीएसपी (लगभग 93% घुलनशील फास्फोरस) डीएपी से बेहतर विकल्प है।
याडीएपी (DAP) - 46% P, 18% N1 बैग (लगभग 50 किलो)
याएसएसपी (Single Super Phosphate) - 16% P, 11% S, कैल्शियम2 से 2.5 बैग
नाइट्रोजन (N)यूरिया20-25 किलोवानस्पतिक वृद्धि और पौधे की कैनोपी का विकास। (इसे फास्फोरस खाद के साथ मिलाकर ड्रिल मशीन से न बोएं, ऊपर से छिड़क दें)।
पोटाश (K)म्यूरेट ऑफ पोटाश (MOP)25-30 किलोरोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाना, दाने भरना।
सल्फर (S)बेंटोनाइट सल्फर (90%)15 किलोतेल की मात्रा (Oil Percentage) बढ़ाने में सबसे बड़ा योगदान।

बीमारी नियंत्रण के लिए अतिरिक्त बेसल डोज़:

  • तना गलन (Stem Rot) से बचाव: बेसल डोज़ खाद के मिश्रण में थाफिनेट मिथाइल 70% WP (रोको) लगभग 500 ग्राम (आधा किलो) प्रति एकड़ मिलाकर बुवाई करें। यह फंगस जनित बीमारियों को शुरू में ही नियंत्रित कर देगा।


बीज मात्रा, उपचार और खरपतवार नियंत्रण

1. बीज मात्रा (Seed Rate):

  • 1 किलो बीज प्रति एकड़ पर्याप्त है। 1 किलो से ज्यादा बीज न लें।

  • गहरी बुवाई से बचें, यह बीमारी और कम शाखाओं का कारण बन सकती है।

2. बीज उपचार (Seed Treatment):

  • FIR विधि अपनाएं:

    • F (Fungicide): कवकनाशी (जैसे कार्बेन्डाजिम + मैनकोजेब या एजोस्ट्रोबिन + थाफिनेट मिथाइल) से बीज को उपचारित करें।

    • I (Insecticide): कीटनाशी (जैसे थाइमेथोक्सम) से उपचारित करें।

    • R (Rhizobium Culture): राइजोबियम या एजोटोबैक्टर कल्चर का उपयोग करें।

  • मात्रा: 2 मिलीलीटर दवा/फफूंदनाशी प्रति 1 किलो बीज में मिलाकर, अच्छे से सुखाकर बुवाई करें।

3. खरपतवार नियंत्रण (Kharpatwar Niyantran):

  • बुवाई के 72 घंटे के भीतर और खेत में पर्याप्त नमी होने पर, पेंडीमेथालिन (Pendimethalin) 1 लीटर प्रति एकड़ की दर से स्प्रे करें। यह मिट्टी में एक लेयर बना देगा, जिससे खरपतवार के बीज निष्क्रिय हो जाएंगे और शुरुआती खरपतवार नियंत्रण हो जाएगा।

4. अंकुरण के बाद देखभाल:

  • अंकुरण के 3-4 दिन बाद यदि पौधे सूख रहे हों, तो मोनोक्रोटोफोस (0.5 मिली/लीटर) के साथ कार्बेन्डाजिम + मैनकोजेब (साफ पाउडर, 1 ग्राम/लीटर) का स्प्रे करें।


सरसों की टॉप वैरायटी (Sarso ki Top Variety)

आपकी जानकारी के अनुसार, सरसों की बेस्ट वैरायटी पर जल्द ही अगला ब्लॉग जारी किया जाएगा, जिसमें पिछले वर्षों के जबरदस्त उत्पादन देने वाली किस्मों की जानकारी होगी। उत्पादन (Production) और तेल की मात्रा (Oil Percentage) में संतुलन वाली वैरायटी का चुनाव सबसे ज़रूरी है, क्योंकि मंडियों में तेल प्रतिशत के आधार पर ही सबसे ऊपरी भाव मिलते हैं।


यह वीडियो आपको सरसों की बुवाई के समय डाले जाने वाले सर्वोत्तम खादों और उनसे मिलने वाली पैदावार पर विस्तृत जानकारी देगी: सरसों बुवाई के समय डालो यह 3 सीक्रेट खाद | पैदावार होगी डबल



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